चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट पर अचानक लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों से भारत के ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को गंभीर खतरा पैदा हो गया था। इससे देश में कार उत्पादन कुछ ही दिनों में पूरी तरह ठप होने के कगार पर आ गया था। ये चुंबक न केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल मोटर्स में बल्कि पावर विंडो और ऑडियो सिस्टम जैसे रोजमर्रा के कार पार्ट्स में भी महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स हैं।
सर्टिफिकेट्स के बाद शुरू हुआ इंपोर्ट
हालांकि, भारत द्वारा चीन के निर्यात प्रतिबंधों के अनुपालन का आश्वासन देने वाले प्रमाण पत्र जारी करने के बाद, कारों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होने वाले स्थायी चुंबकों का चीन से आयात फिर से शुरू हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने लगभग 30 खेपों के लिए प्रमाण पत्र जारी किए हैं, जिनमें पुष्टि की गई है कि इन स्थायी चुंबकों का उपयोग रक्षा अनुप्रयोगों के लिए नहीं किया जाएगा और न ही उन्हें अमेरिका को एक्सपोर्ट किया जाएगा।
इंडस्ट्री ने दी चेतावनी
इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने चेतावनी दी थी कि चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उत्पादन रुकने का खतरा बना हुआ है। एक रिपोर्ट में कंपनी के अधिकारियों और उद्योग समूहों के दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया गया कि ऑटो पार्ट्स निर्माताओं के पास दुर्लभ अर्थ मैग्नेट का स्टॉक मई के अंत तक खत्म होने की उम्मीद थी। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने सरकार से बीजिंग पर प्रतिबंधों में ढील देने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार में आने वाले संकट की चेतावनी दी थी।
90% कंट्रोल है चीन के पास
चीन इन चुंबकों की ग्लोबल प्रोसेसिंग कैपेसिटी के 90% से अधिक को कंट्रोल करता है, जो न केवल इलेक्ट्रिक ऑटो मोटर्स के लिए बल्कि पारंपरिक कार कंपोनेंट्स जैसे पावर विंडो और ऑडियो स्पीकर के लिए भी आवश्यक हैं। बीजिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में अप्रैल में निर्यात प्रतिबंध लगाए, जिसमें कंपनियों को चीनी अधिकारियों से आयात परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता थी। जबकि ये प्रतिबंध मुख्य रूप से हाई परफॉर्मेंस वाले चुंबकों को टार्गेट करते हैं। नए नियमों को कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस बारे में भ्रम के बीच निम्न-स्तरीय चुंबकों की खेप भी रुकी हुई थी।
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