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- Allopathy Medicine Misleading Ads Case ; Supreme Court AYUSH Ministry | Rule 170
19 मिनट पहले
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पिछली सुनवाई ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने वाले राज्यों को फटकार लगाई थी।
एलोपैथी दवा भ्रामक विज्ञापन मामले में आज (7 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस दौरान दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर कोर्ट में जवाब देंगे।
इससे पहले 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक, सिद्धा और यूनानी दवाओं के अवैध विज्ञापनों पर एक्शन नहीं लेने वाले राज्यों को फटकार लगाई थी। साथ ही उनके मुख्य सचिव को तलब किया और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अगली सुनवाई में पेश होने का निर्देश दिया था।
वहीं, इस मामले में 24 फरवरी को कोर्ट ने कहा था- सरकार को एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए, जहां लोग भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत दर्ज करवा सकें। बेंच आज इसको लेकर भी विचार करेगी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट कहा था- राज्यों ने आदेश का पालन नहीं करवाया
- इससे पहले 10 फरवरी को जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने कहा था- दिल्ली, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर राज्यों ने आदेशों को लागू करने को लेकर सही से काम नहीं किया। सीनियर एडवोकेट और न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) शादन फरासत ने कहा- अधिकांश राज्यों ने केवल माफी स्वीकार कर ली और नियमों का उल्लंघन करने वालों को लिखित में चेतावनी देकर छोड़ दिया।
- इसपर बेंच ने कहा- न्याय मित्र ने सही कहा है। अगर सभी राज्य ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 को सही तरीके से लागू करें, तो आयुर्वेदिक, सिद्धा और यूनानी दवाओं के अवैध विज्ञापनों की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। कई आदेश पारित करने के बाद भी राज्य पालन नहीं कर रहे हैं।
- सु्प्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, गुजरात और जम्मू-कश्मीर को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही नियम 170 के सही से लागू नहीं होने पर भी जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने कहा- हम इन राज्यों को इस महीने के अंत तक जवाब दाखिल करने का समय देते हैं।
क्या है पूरा मामला दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त 2024 को आयुष मंत्रालय की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी, जिसने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 को हटा दिया था। यह नियम आयुर्वेदिक, सिद्धा और यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है।

केंद्र ने 29 अगस्त, 2023 को एक लेटर जारी किया था। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नियम 170 के तहत कंपनियों पर कोई कार्रवाई शुरू या नहीं करने को कहा गया था।
पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस की सुनवाई के दौरान मुद्दा उठा सुप्रीम कोर्ट में 7 मई 2024 को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन केस की सुनवाई के दौरान नियम 170 का मुद्दा उठा था। दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

पतंजलि, योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण पहले ही भ्रामक विज्ञापन मामले में माफी मांग चुके हैं।
इसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन, एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार और खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा करने का आरोप है। साथ ही इसमें एलोपैथी पर हमला किया गया है और कुछ बीमारियों के इलाज का दावा किया गया है।
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भ्रामक विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया। अदालत ने कहा कि एक हफ्ते में जवाब दाखिल कीजिए। अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी। अदालत ने कहा कि सुनवाई पर रामदेव और बालकृष्ण मौजूद रहें। पूरी खबर पढ़ें…