Omdia के हवाले से TOI की रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल 2025 में भारत से अमेरिका को करीब 2.9 मिलियन iPhones एक्सपोर्ट किए गए, जबकि एक साल पहले चीन से यही संख्या 3.7 मिलियन थी, जो अब घटकर केवल 9 लाख यूनिट रह गई है। यह बदलाव साफ दिखाता है कि Apple अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को चीन से हटाकर भारत में शिफ्ट कर रहा है और यह बदलाव सिर्फ प्रोडक्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्लोबल लॉजिस्टिक्स और पॉलिटिक्स दोनों को प्रभावित कर रहा है।
Apple फिलहाल अपनी ग्लोबल iPhone मैन्युफैक्चरिंग का 18% हिस्सा भारत से कर रहा है और कंपनी का टारगेट है कि 2025 के अंत तक यह आंकड़ा 32% तक पहुंच जाए। Foxconn, जो Apple का मुख्य सप्लायर है, भारत में अपना निवेश लगातार बढ़ा रहा है। कंपनी ने हाल ही में $1.5 बिलियन का एक्सपेंशन प्रोजेक्ट भारत में शुरू किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, Apple ने 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhones की असेंबली भारत में करने की योजना बनाई है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में प्रोडक्शन तेजी से बढ़ाना आसान नहीं होगा, खासकर जब बात क्वालिटी स्टैंडर्ड और वॉल्यूम की आती है।
अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो वह Apple के लिए काफी महंगा और धीमा ऑप्शन है। ऐसे में भले ही ट्रंप सरकार दबाव बना रही हो, लेकिन Apple की स्ट्रैटेजी भारत को लेकर फिलहाल अडिग नजर आती है।
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