देश की आबादी के एक बड़ा हिस्सा मिडिल क्लास है. इन परिवारों में रहने, खाने-पीने और भी कई चीजों को लेकर कायदे, कानून और आदतें लगभग एक जैसी होती हैं. मिडिल क्लास मतलब हर चीज सोच-समझकर करना. यहां लोगों के खर्च करने का तरीका थोड़ा अलग है. लेकिन सोचिए कि अगर आने वाले समय तक भारत की आधी से ज्यादा आबादी मिडिल क्लास हो जाए तब. जी हां एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है कि साल 2030 तक देश की आधी से ज्यादा आबादी मिडिल क्लास में तब्दील हो जाएगी.
गरीबी से बाहर निकल रहे लोग
बुटीक कल्चरल फर्म फोक फ्रीक्वेंसी ने अपनी रिपोर्ट में ऐसा दावा किया है कि साल 2030 तक भारत में आधी से ज्यादा मिडिल क्लास फैमिली होगी. जिनका उपभोग करने का तरीका जरूरत से ज्यादा अनुभव पर आधारित हो जाएगा. रिपोर्ट की मानें तो कैज़ुअल डाइनिंग और फाइन डाइनिंग जैसे उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है. मिडिल क्लास में यह देखने को मिला है कि लोग पीढ़ियों से चली आ रही गरीबी से बाहर निकल रहे हैं. वे अपने परिवार में शिक्षित होने वाले पहले शख्स बनकर मजदूरी की बजाए नौकरी कर रहे हैं.
57 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स ग्रामीण क्षेत्रों से
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत के 57 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स ग्रामीण और टीयर -2+ शहरों में हैं. फिर भी विज्ञापन को लेकर टारगेट करने वाले लोग मेट्रो सिटीज और अंग्रेजी बोलने वालों को प्राथमिकता देते हैं. इससे AI एल्गोरिद्म में क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर पूर्वाग्रह है, जिससे की बड़ी संख्या में यूजर्स नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. ऐसे में यह डिजिटल बाजारों के लिए चेतावनी है कि उनको अगर सच में भारत के दिलों तक पहुंचना है तो स्थानीय चीजों को प्राथमिकता देनी पड़ेगी.
उपभोग में हो रहा बदलाव
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अब उपभोग की चीजों में भी बदलाव देखने को मिला है. आज के समय में लोग सिर्फ जरूरत की चीजें नहीं खरीदते हैं, बल्कि वे एक्सपीरियंस्ड सर्विसेज औक प्रीमियम लाइफस्टाइल की ओर बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि कैजुअल डाइनिंग में 49% और फाइन डाइनिंग में 55% की बढ़ोतरी देखी गई है. अब खर्च सिर्फ जरूरतें पूरी नहीं कर रहा, बल्कि धईरे-धीरे स्टाइल स्टेटमेंट भी बनता जा रहा है.
महिलाओं की बढ़ती हुई भूमिका
भारत में साक्षरता दर बढ़ी है, जिससे कि गरीबी में कमी आई है. 2011 में 22.5 प्रतिशत गरीबी थी जो कि 2019 में कम होकर 10.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है. रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि भारत में आधे से अधिक मेडिकल छात्र और महिलाएं हैं और 14% बिजनेस तो अब महिलाओं के नेतृत्व में हैं. सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री में 64% की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें महिलाएं अहम भूमिका में हैं. आज के जनरेशन की बात करें तो ये Z और अल्फा जेनरेशन है. 25 साल से कम उम्र की युवा पीढ़ी उपभोग के क्षेत्र में प्रभावशाली भूमिका अदा कर रही है.
2030 तक नई दिशा में आगे बढ़ेगा भारत
ऐसे में साल 2030 की ओर बढ़ता भारत सिर्फ तकनीकी और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं बनेगा, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और उपभोक्ता परिवर्तन की मिसाल पेश करेगा. बढ़ता हुआ मिडिल क्लास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल की मांग, नई सोच और एक्सपीरियंस के आधार पर उपभोग और जागरूक युवा पीढ़ी, ये सभी भारत को एक नई दिशा में आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं.
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