Chandrashekhar Azad Death Anniversary: आज के दौर में क्रिकेट के हीरो होते हैं. बॉलीवुड के हीरो होते हैं. तो बीते दौर में देश के हीरो हुआ करते थे. जिन्होंने देश की आजादी में अपनी जान तक न्यौछावर कर दी. हीरो की बात की जाए तो लिस्ट बेहद लंबी है. इन्हीं में एक हीरो थे. जो देश को आजादी दिलाने की जंग में मूंछों को ताव देते हुए आज यानी 27 फरवरी के दिन ही महज 24 साल की उम्र में इस दुनिया से चला गये. आजादी की लौ में अपने प्राणों को न्यौछावर कर देने वाले इस क्रांतिकारी का, देश के इस हीरो का नाम था चंद्रशेखर आजाद.
आज भी भारत में जब आजादी के आंदोलन की बात की जाती है. तब चंद्रशेखर आजाद का नाम बड़े ही गर्व के साथ लिया जाता है. 23 जुलाई 1906 को जन्मे चंद्रशेखर आजाद ने 27 फरवरी 1931 को अपनी ही पिस्टल से खुद को गोली मार ली थी. क्योंकि वह अंग्रेजों के हाथों में जिंदा नहीं आना चाहते थे. आपको बता दें इस घटना के पीछे वजह बनी थी मुखबिरी. जानें किसने की थी चंद्रशेखर आजाद की मुखबारी और आखिर बाद में उसका क्या हुआ था.
किसने की थी चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी?
आज 27 फरवरी को चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि है. 24 साल की उम्र में ही इस क्रांतिकारी ने देश की आजादी में अपनी जान गंवा दी थी. चंद्रशेखर आजाद को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों ने घेर लिया था. अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद अपने क्रांतिकारी साथी सुखदेव राज से मुलाकात करने आए थे. उनके वहां होने की मुखबिरी कर दी गई. क्रांतिकारियों की पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी जिसकी स्थापना चंद्रशेखर आजाद, सचिंद्रनाथ सान्याल और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने की थी. इसी HSRA के सदस्य वीरभद्र तिवारी ने अंग्रेजों को चंद्रशेखर आजाद के अल्फ्रेड पार्क में होने की सूचना दी थी.
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आजाद रहने का वादा किया पूरा
सीआईडी प्रमुख जेआरएच नॉट-बोवर ने इलाहाबाद पुलिस के साथ मिल कर चंद्रशेखर आजाद को अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया. चंद्रशेखर आजाद ने सुखदेव राज को आजादी की लड़ाई जारी रखने के लिए बाहर जाने के लिए कहा सुखदेव को बाहर भेजने के लिए उन्होंने कवर फायर दिया. और अंग्रेजों से जवाबी फायर में उन्होंने तीन अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया. इस दौरान वह खुद भी घायल हो गए थे. उन्होंने प्रण लिया था कि वह हमेशा आजाद रहेंगे और कभी भी जिंदा नहीं पकड़े जाएंगे. इसी वजह से उन्होंने अपनी बंदूक की आखिरी गोली खुद को ही मार ली.
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मुखबिरी करने वाले वीरभद्र तिवारी का क्या हुआ?
देश को आजाद होने में समय लगा, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही था कि देश के कई लोगों के अंदर देश भावना ही नहीं थी. उनके अंदर लालच था. वह भी इस कदर था कि उन्होंने हर एक मौके पर देश को बेचने में कसर नहीं छोड़ी. ऐसा ही वीरभद्र तिवारी ने किया जिसने चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी की और देश ने एक क्रांतिकारी खो दिया. जब हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के एक और क्रांतिकारी सदस्य रमेश चंद्र गुप्ता को इस मुखबिरी का पता चला.
तो वह उत्तर प्रदेश के उरई गए जहां वीरभद्र तिवारी मौजूद था. उन्होंने वीरभद्र तिवारी पर गोली भी चलाई. हालांकि उसमें वह बच गया. लेकिन उसकी हत्या के प्रयास के लिए रमेश चंद्र गुप्ता गिरफ्तार हो गए और उन्हें 10 साल की जेल भी हो गई. इसके बाद वीरभद्र तिवारी का क्या हुआ इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई.
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