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Metal Storm Weapon System: आधुनिक युद्ध की सबसे जटिल चुनौतियों में से एक हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने के लिए चीन एक बेहद घातक और नई पीढ़ी की हथियार प्रणाली पर काम कर रहा है. यह मल्टी-बैरेल्ड मशीन गन ‘मेटल स्टॉर्म प्रोजेक्ट’ के तहत तैयार की जा रही है जिसे अमेरिकी नौसेना की फालैंक्स क्लोज-इन वेपन सिस्टम से कहीं ज्यादा ताकतवर बताया जा रहा है.
क्या है मेटल स्टॉर्म हथियार सिस्टम की खासियत?
उत्तर चीन विश्वविद्यालय के रक्षा वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की जा रही यह हथियार सिस्टम ज़मीन और समुद्र दोनों पर इस्तेमाल में लाई जा सकती है. इसका मकसद हाइपरसोनिक मिसाइल जैसे तेज़ रफ्तार खतरे को रोकना है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह परंपरागत गनों की तरह यांत्रिक नहीं है बल्कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्वॉइल इग्निशन तकनीक का इस्तेमाल करती है.
प्रति बैरल 4.5 लाख राउंड प्रति मिनट की क्षमता
इसमें गोलियां एक के ऊपर एक लोड की जाती हैं और हर शॉट केवल 17.5 माइक्रोसेकंड में फायर होता है. इसका मतलब है कि कोई भी मेकेनिकल डिले नहीं, सिर्फ रफ्तार और तबाही. यह सिस्टम स्मार्ट एम्युनिशन के साथ आता है, जिसमें सेंसर और डेटा चिप्स लगे होते हैं जो हर शॉट की ट्रैजेक्टरी, स्पीड और एक्यूरेसी को रीयल टाइम में ट्रैक करते हैं.
पुराने ऑस्ट्रेलियाई प्रोजेक्ट से प्रेरणा
हालांकि यह तकनीक 1990 के दशक के ऑस्ट्रेलियाई मेटल स्टॉर्म प्रोजेक्ट से प्रेरित है, लेकिन चीन ने इसकी कमजोरियों को दूर कर दिया है जैसे हीट कंट्रोल और बैरल ओवरलोडिंग. अब इसमें डिस्पोजेबल बैरल्स और मॉड्यूलर री-लोडिंग सिस्टम लगाया गया है. इस सिस्टम को मोबाइल व्हीकल्स, एयर डिफेंस यूनिट्स और नेवी शिप्स तक पर तैनात किया जा सकता है. ऐसे में यह चीन की थल और नौसेना दोनों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए बना अभेद्य कवच
Mach 5 की रफ्तार से ज्यादा तेज़ चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक और मार गिराना बेहद कठिन होता है. लेकिन मेटल स्टॉर्म की रफ्तार और एआई से जुड़ा स्मार्ट एम्युनिशन सिस्टम इसे असंभव को संभव बनाने की दिशा में ले जाता है.
युद्ध की दिशा बदलने वाला हथियार
अगर चीन इस प्रणाली को सफलतापूर्वक तैनात कर पाता है तो यह दुनिया भर में शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस का चेहरा बदल सकता है. अमेरिका, रूस और नाटो देश जहां हाइपरसोनिक हथियार बना रहे हैं, वहीं चीन अब उनका तोड़ भी विकसित कर रहा है — वह भी हाई-फायरपावर और लो-कॉस्ट टेक्नोलॉजी से. यह नई प्रणाली चीन की सैन्य शक्ति और टेक्नोलॉजिकल लीडरशिप को न केवल मजबूती देगी बल्कि भविष्य के युद्धों में उसकी बढ़त को भी साफ दिखाएगी.
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