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पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज का एक वीडियो सामने आया था. इस वीडियो में कॉलेज की प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला एक क्लासरूम को गोबर से लीपते हुई दिखी थीं. सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो गया, जिसको लेकर काफी हंगामा मचा. छात्र संगठनों ने भी विरोध जताते हुए प्रिंसिपल के रूम को गोबर से लीप दिया.
अब सवाल यह है कि लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल गोबल लीपने की पीछे जिस रिसर्च का हवाला दे रही थीं, क्या सच में ऐसा होता है. दरअसल, प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला का क्लासरूम में गोबर लीपने के पीछे तर्क था कि इससे गर्मी कम होगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या घर की दीवारों पर गोबर लीप कर सूरज की तपिश को कम किया जा सकता है? चलिए जानते हैं…
गांवों में गोबर से ही लीपे जाते थे घर
आपका वास्ता अगर गांव से हो या कभी आप गांव गए हों तो आपने वहां मिट्टी के घरों को देखा ही होगा. अक्सर गांव में रहने वाले लोग इन घरों की दीवारों को गोबर से लीपते हैं. इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि इससे घर के अंदर गर्मी कम लगती है. दरअसल, गोबर को एक नेचुरल इंसुलेटर माना जाता है. जब हम मिट्टी की दीवारों पर गोबर की लेयर लगाते हैं तो यह लेयर गर्मी में घर को ठंडा और ठंड में गर्म रखता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हीट गोबर की लेयर के पार नहीं जा पाती.
क्या पक्की दीवारों पर भी काम करता है गोबर
मिट्टी के घर तो ठीक हैं, लेकिन सवाल है कि क्या पक्के घरों पर भी गोबर का लेप काम करता है? दरअसल, कच्चे मकानों पर गोबर का लेप लगाने से थर्मल कंडक्टिविटी कम हो जाती है, जिससे हीट ट्रांसफर का प्रोसेस धीमा हो जाता है. हालांकि, सीमेंट या कंक्रीट की दीवारों पर यह कम असर करता है. अभी तक किसी भी रिसर्च में यह साबित नहीं हुआ है कि पक्की दीवारों पर भी गोबर एक नेचुरल इंसुलेटर की तरह काम करता है और गर्मी से राहत देता है.
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