US Deportation News: ट्रंप प्रशासन अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी गतिविधियों पर सख्ती बढ़ा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने विदेशी छात्रों और ग्रीन कार्ड धारकों को सख्त चेतावनी दी है कि अगर वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले कार्यों, विशेष रूप से आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उन्हें अमेरिका से निकाला जा सकता है.
अमेरिकी अधिकारियों ने साफ संकेत दिया है कि विदेशी नागरिकों की ओर से राजनीतिक विरोध प्रदर्शन में अगर भाग लिया जाता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है. इनमें कॉलेज परिसरों में इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में भागीदारी भी शामिल है, जिसे प्रशासन हमास जैसे संगठनों के समर्थन के रूप में देख रहा है.
ट्रंप के सलाहकार मिलर का फरमान
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार और व्हाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर ने स्पष्ट किया, “किसी को भी वीजा या ग्रीन कार्ड का अधिकार नहीं है. यदि आप आतंकवाद का समर्थन करते हैं, तो हम आपको यहां नहीं चाहते.”
विदेशी छात्रों पर कार्रवाई की शुरुआत?
मिलर की यह टिप्पणी कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र महमूद खलील की गिरफ्तारी के बाद आई. खलील पर आरोप है कि उन्होंने अपने कैंपस में फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन किया. हालांकि, न्यूयॉर्क के एक न्यायाधीश ने उनके निर्वासन पर अस्थायी रोक लगा दी है, लेकिन उनका मामला अभी जांच के अधीन है. सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी के लिए फेमस मिलर ने एक्स पर लिखा, “अमेरिकी मूल्यों को अस्वीकार करने वाले और आतंकवाद का समर्थन करने वाले बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों को वीजा दिया गया है. इन्हें रद्द करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है.”
DHS ने हमास से जुड़े मामलों की पुष्टि की
अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने पुष्टि की है कि खलील को “हमास से जुड़ी गतिविधियों” के कारण गिरफ्तार किया गया था. प्रशासन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा बता रहा है. हालांकि, न्यायाधीश जेसी फुरमैन ने मामले की कानूनी समीक्षा तक खलील के निर्वासन पर रोक लगा दी है, लेकिन ट्रंप प्रशासन 1952 के यू.एस. इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट का उपयोग कर सकता है. यह कानून अमेरिकी विदेश नीति के लिए खतरा माने जाने वाले विदेशी नागरिकों को निर्वासित करने की अनुमति देता है.
ट्रंप का बयान: यह सिर्फ शुरुआत है
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “ICE ने कोलंबिया विश्वविद्यालय के परिसर में एक कट्टरपंथी विदेशी समर्थक हमास छात्र महमूद खलील को हिरासत में लिया. यह कई गिरफ्तारियों में से पहली है.”
उन्होंने आगे कहा, “हम जानते हैं कि कोलंबिया और देशभर के अन्य विश्वविद्यालयों में ऐसे कई छात्र हैं जो आतंकवाद समर्थक, यहूदी विरोधी, अमेरिकी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. ट्रंप प्रशासन इसे सहन नहीं करेगा.”
क्या यह व्यापक कार्रवाई की शुरुआत है?
कुछ ट्रंप समर्थकों का मानना है कि समान विचारधारा वाले अमेरिकी नागरिकों को भी सख्त सजा दी जानी चाहिए. खलील का मामला इस बात की परीक्षा बन सकता है कि अमेरिकी अधिकारी राजनीतिक सक्रियता के संदर्भ में आव्रजन कानून की व्याख्या कैसे करते हैं. अब यह देखा जाना बाकी है कि आने वाले दिनों में प्रशासन और कितनी सख्ती दिखाता है, और क्या यह नीति भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों के लिए भी खतरा बन सकती है.