Indian Politics: बिहार और आंध्र प्रदेश में हाल ही में आयोजित इफ्तार पार्टियों में नेताओं की भागीदारी को लेकर देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर निशाना साधते हुए कहा कि ये नेता सिर्फ मुसलमानों के वोट पाने के लिए टोपी पहनते हैं, लेकिन जब उनके हक की बात आती है तो चुप्पी साध लेते हैं.
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, ‘कुछ लोग इफ्तार पार्टियों में आकर टोपी और रूमाल पहन लेते हैं और खुद को बड़ा हमदर्द दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब मुस्लिम समाज के हक की बात आती है तब ये लोग खामोश हो जाते हैं.’ उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये नेता वास्तव में मुस्लिम समाज के हितैषी हैं या फिर सिर्फ वोट की राजनीति के लिए धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं?
हर चुनाव से पहले दोहराई जाती है यही राजनीति
मौलाना ने कहा कि ये कोई नई बात नहीं है. हर चुनाव से पहले नेता मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी सहानुभूति दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब शिक्षा, रोजगार या अन्य विकास कार्यों की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं. इससे पहले भी कई धार्मिक नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.
मुस्लिम समाज को खुद आगे आना होगा
मौलाना ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे ऐसे नेताओं से एक्टिव रहें जो सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए उनकी भावनाओं का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि मुसलमान अपने हक़ और हुकूक के लिए खुद आगे आएं. अगर मुस्लिम समाज एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएगा तो कोई भी सरकार उनकी अनदेखी नहीं कर सकेगी.
राजनीतिक गलियारों में बढ़ी हलचल
मौलाना कारी इसहाक गोरा के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. क्या वाकई नेता सिर्फ चुनावी राजनीति के लिए धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं या फिर उनकी नीयत सही होती है? ये सवाल अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है.