Atmanirbhar Bharat: भारतीय वायुसेना (IAF) को अपने पुराने हो चुके बेड़े को बदलने के लिए हर साल कम से कम 35 से 40 लड़ाकू विमानों की जरूरत है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने शुक्रवार (28 फरवरी) को ‘चाणक्य डायलॉग्स’ सम्मेलन में “भारत 2047: युद्ध में आत्मनिर्भरता” विषय पर बोलते हुए इस बात पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है ताकि परिचालन क्षमता बनी रहे.
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि ये लक्ष्य असंभव नहीं है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले साल से हर साल 24 तेजस Mk1A जेट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके अलावा सुखोई उत्पादन लाइन और निजी क्षेत्र की भागीदारी से विमानों की सप्लाई में अंतर को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वायुसेना स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को प्राथमिकता देगी भले ही उनकी क्षमता वैश्विक विकल्पों से थोड़ी कम हो.
स्वदेशी हथियारों को तरजीह देगी एयरफोर्स
एपी सिंह ने कहा कि अगर कोई स्वदेशी प्रणाली वैश्विक स्तर की तुलना में 90 प्रतिशत या 85 प्रतिशत प्रदर्शन भी देती है तो एयर फोर्स उसे ही चुनेगी. उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा उत्पादन को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया. उनका कहना था कि लॉन्ग टर्म संघर्षों के दौरान हथियारों और डिवाइस की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करने की क्षमता होनी चाहिए क्योंकि विदेशी सप्लायर्स पर निर्भरता रणनीतिक जोखिम पैदा कर सकती है.
नई तकनीकों का तेजी से हो रहा है इस्तेमाल
एयरफोर्स प्रमुख ने बताया कि वायुसेना आधुनिक तकनीकों को तेजी से अपना रही है जिनमें ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग शामिल हैं. उन्होंने कहा “हमने अपने सिस्टम में काफी हद तक स्वचालन को शामिल कर लिया है जिससे दक्षता में सुधार हुआ है और संचालन का समय कम हुआ है.” एयरफोर्स की ये रणनीति उसे भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिए तैयार करने में मदद करेगी.