NASA का जूनो (Juno) स्पेसक्राफ्ट लगातार जुपिटर के बारे में खोजबीन कर रहा है। स्पेसक्राफ्ट ने अब नई खोजें जुटाकर वहां से वैज्ञानिकों के पास भेजी हैं जो बताती हैं जुपिटर पर क्या हो रहा है, और इसके चंद्रमा Io की सतह पर क्या बवाल चल रहा है। Earth.com के अनुसार, रेडियो सिग्नल, माइक्रोवेव सेंसर, और इंफ्रारेड इमेजिंग के माध्यम से जुपिटर का यह छुपा हुआ चेहरा वैज्ञानिकों के सामने आया है। यहां पता चलता है कि जुपिटर पर आने वाले बवंडर कैसा बर्ताव करते हैं, और कैसे इसका Io चंद्रमा लगातार अपनी ही अंदरुनी गर्मी की वजह से उबलता रहता है।
NASA की Jet Propulsion Laboratory के वैज्ञानिकों और साउथ रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मिलकर विएना में हुई एक साइंस कॉन्फ्रेंस में इस शोध को प्रस्तुत किया। यहां दो अहम जानकारियां निकल कर आईं। पहला Io की सतह के नीचे के तापमान का नया मैप, और दूसरा जुपिटर के ध्रुवों पर बवंडर कैसे विचरण करते हैं।
बृहस्पति पर सबकुछ होता है चरम पर!
सैन एंटोनियो में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में जूनो के मुख्य इनवेस्टिगेटर स्कॉट बोल्टन ने कहा कि बृहस्पति के बारे में सब कुछ चरम है। यह ग्रह ऑस्ट्रेलिया से भी बड़े विशाल ध्रुवीय चक्रवातों का घर है, यहां भयंकर जेट धाराएं बहती हैं, यह हमारे सौर मंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखीय पिंड, सबसे शक्तिशाली ऑरोरा और सबसे कठोर रेडिएशन बेल्ट का घर है।
Io चंद्रमा पर बह रहा है लावा
जूनो के माइक्रोवेव रेडियोमीटर को मूल रूप से बृहस्पति के घने बादलों को स्टडी करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे Io की ओर मोड़ने का फैसला किया। उन्होंने इस डेटा को JIRAM नामक एक अन्य उपकरण से प्राप्त इन्फ्रारेड इमेजिस के साथ जोड़ा। वैज्ञानिकों ने पाया कि Io पर अभी भी मैग्मा मौजूद है। जो अभी तक आयो की ठंडी परत के नीचे जम नहीं पाया है। हर अक्षांश और देशांतर पर ठंडा लावा बह रहा था।
डेटा से पता चलता है कि Io की सतह के लगभग 10% हिस्से में बाहरी परत के ठीक नीचे लावा की पॉकेट्स मौजूद हैं। यह लावा धीरे-धीरे ठंडा हो रहा है- कुछ-कुछ कार रेडिएटर की तरह, जो कोर से गर्मी को बाहर निकालता है और उसे बाहर स्पेस में छोड़ता है।
बृहस्पति के अजब चक्रवात
बृहस्पति के उत्तरी ध्रुव पर 9 दैत्याकार बवंडर चल रहे हैं। इनमें से एक सेंटर में मौजूद है और बाकी 8 इसे घेरे हुए हैं जैसे फूल के केंद्र को पत्तियां घेरे रहती हैं। ये चक्रवात पृथ्वी जैसे नहीं हैं। पृथ्वी पर आने वाले तूफान अचानक आते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। लेकिन बृहस्पति के चक्रवात लंबे समय तक चलते हैं और ध्रुवों के पास ही रहते हैं। पृथ्वी पर, ध्रुवों के पास आते ही तूफानों की शक्ति कम हो जाती है। लेकिन बृहस्पति पर, ध्रुवीय चक्रवात एक साथ इकट्ठा होकर परस्पर क्रिया करते हैं। जैसे ही वे एक-दूसरे से टकराने लगते हैं, उनकी गति धीमी हो जाती है।
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