Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार (17 अप्रैल 2025) को कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है. जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की पीठ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम विस्फोट हुए थे.
हिंसा रोकने के लिए उठाए गए कदम- बंगाल सरकार
याचिका में उन्होंने अनुरोध किया था कि हिंसा की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपी जाए. राज्य सरकार ने कोर्ट में यह भी कहा कि जिले में हिंसा को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन की ओर से पर्याप्त कदम उठाए गए हैं. केंद्र की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती को जिले की जमीनी स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ समय के लिए और बढ़ा दिया जाए.
मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात
मुर्शिदाबाद के उपद्रवग्रस्त सुती, शमसेरगंज-धुलियान इलाकों में फिलहाल केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं. एक अन्य याचिकाकर्ता ने हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की उनके घरों में वापसी के लिए राज्य सरकार की ओर से कदम उठाए जाने का अनुरोध किया. राज्य सरकार ने कहा कि कुछ प्रभावित परिवार पहले ही अपने घर लौट चुके हैं.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा से बचकर कई लोगों ने मालदा जिले के एक स्कूल में राहत शिविर में शरण ली है. वक्फ संशोधन एक्ट पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार (16 अप्रैल 2025) को मुर्शिदाबाद हिंसा पर चिंता जताई थी. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मामला कोर्ट में लंबित रहते हुए ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कानून की अच्छी बातें भी लोगों के सामने लाई जानी चाहिए.
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