Mosques Covered in UP: पूरे देश में होली का पर्व शुरू हो चुका है. देश के कई हिस्सों में 14 मार्च को होली मनाई गई और जमकर रंग खेला गया. वहीं, कुछ जगहों पर 15 मार्च को भी होली खेली जाएगी. विशेषतौर पर 14 मार्च की होली को लेकर प्रशासन अलर्ट पर था. दरअसल, शुक्रवार का दिन होने के कारण होली और जुमे की नमाज एक ही दिन थी. ऐसे में पश्चिमी यूपी में कई जगह मस्जिदों को कपड़े या फिर तरपालों से ढके जाने की खबरें आईं.
ऐसी खबरें बरेली, संभल, शाहजहांपुर, अलीगढ़, बाराबंकी, अयोध्या और मुरादाबाद से सामने आई कि होली उत्सव को देखते हुए प्रशासन ने कई जगह मस्जिदों को कपड़ों या फिर तिरपालों से ढक दिया है. पुलिस-प्रशासन ने कई जगहों पर अपील की थी कि अगर होली के रंगों से परहेज है तो धार्मिक स्थलों को तिरपाल से ढक दें. आइए जानते हैं कि धार्मिक स्थलों को कपड़े या तिरपाल से ढकने का क्या नियम है? ऐसा क्यों किया जाता है?
होली पर विवाद का था डर
बता दें, होली और जुमे की नमाज एक ही दिन पड़ने के कारण प्रशासन को दो समुदायों में विवाद का डर था. खासतौर पर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में प्रशासन अलर्ट पर था. यहां पिछले दिनों जामा मस्जिद सर्वे को लेकर जमकर हिंसा हुई थी, जिसके बाद से यहां तनाव बना हुआ है. ऐसे में होली के मौके पर कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए प्रशासन लगातार दोनों समुदायों के साथ बैठक कर रहा था. कई जगहों पर होली और जुमे की नमाज के समय को भी बदला गया था.
सात जिलों में ढकी गई थीं मस्जिदें
होली के दिन रंग या गुलाल से मस्जिदों को बचाने के लिए यूपी के सात जिलों में इन्हें तिरपाल से ढंक दिया गया था. दरअसल, प्रशासन को डर था कि होली खेले जाने के दौरान इन धार्मिक स्थलों पर रंग पड़ सकता है, जिसको लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. ऐसे में प्रशासन ने यह फैसला लिया था.
क्या है धार्मिक स्थलों को ढके जो का नियम?
धार्मिक स्थलों को ढके जाने का कोई नियम नहीं है. हालांकि, प्रशासन को क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह के फैसले लेने की छूट होती है. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन दोनों धर्मों के लोगों के साथ बैठक करता है और आपसी रजामंदी के बाद ही धार्मिक स्थलों को कपड़े या तिरपाल से ढका जाता है. हालांकि, इस तरह के आदेश पूरे क्षेत्र के लिए लागू नहीं होते. ऐसा उन जगहों पर किया जाता है, जो इलाके संवेदनशील होते हैं. कई बार विशेष धर्म समुदाय के लोग ही आगे आकर ऐसा करते हैं, जिससे किसी तरह के विवाद की स्थिति न बने और शांति बनी रहे.