सूरत54 मिनट पहले
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। इसमें सूरत के शैलेश कलाथिया भी शामिल थे। शैलेश परिवार के साथ छुट्टी मनाने पहलगाम पहुंचे थे। आतंकी हमले में शैलेश की पत्नी और बेटा-बेटी सुरक्षित बच गए। दैनिक भास्कर ने शैलेषभाई की पत्नी शीतलबेन से बात की, जिसमें उन्होंने हमले का दिल दहलाने वाला वाक्या बताया।
शीतलबेन के शब्दों में… हम वहां नाश्ता कर रहे थे। अन्य पर्यटक भी हमारे साथ थे। तभी अचानक गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी। इसलिए हमने स्टॉल मालिक से पूछा कि यह शोर कैसा है, लेकिन उसे भी नहीं पता था। हमनें डरकर इधर-उधर देखा और छिपने भागे। लेकिन जब तक हम छिपते, आतंकवादी हमारे सामने आकर खड़े हो गए।
हथियार लेकर सामने खड़ा एक आतंकवादी बोला- ‘जो हिंदू हैं वे एक तरफ आ जाएं और मुसलमान दूसरी तरफ खड़ो हो जाएं। फिर उसने मुसलमानों से कलमा पढ़ने को कहा और उनसे कुछ बातचीत की। इसके बाद उन्होंने हिंदू भाइयों को गोलियों से भून दिया। मेरे पति मेरे सामने खड़े थे और गोली लगते ही वे मेरी गोद में गिर पड़े। मैंने अपने दोनों बच्चों को अपनी पीठ के पीछे छिपा लिया।
हालांकि, उन लोगों ने महिलाओं और बच्चों को नहीं मारा। आतंकवादियों ने हरे रंग का लबादा और सिर पर टोपी पहनी हुई थी। उनकी लम्बी दाढ़ी थी। वे तब तक वहीं खड़े रहे, जब तक घायल मर नहीं गए। इसके बाद वे सभी भाग निकले। हमारी आंखों के सामने ही ढेरों लाशें पड़ी हुई थीं। इसी बीच स्थानीय लोगों ने हमसे कहा कि आप अपने बच्चों के साथ नीचे चले जाइये। बच्चों की जान बचाने के लिए मैं तुरंत उन्हें लेकर नीचे चली आई।

गुरुवार को शैलेष के अंतिम संस्कार में केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल भी शामिल हुए। इस दौरान शीतलबेन ने उन्हें कश्मीर में सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर जमकर लताड़ा।
मुझे दुख है कि हम वहां गए आतंकवादी हमले में अपने पति को खो चुकी शीतलबेन कलथिया पर अचानक दो बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ पड़ी है। इस घटना के बाद वे कहती हैं- मुझे दुख है कि हम वहां क्यों गए? अगर हमें पता होता कि वहां कोई सुरक्षा नहीं है तो हम वहां नहीं जाते।
कलथिया दम्पति अपने बच्चों के साथ 18 तारीख को कश्मीर पहुंचे थे मूल रूप से सूरत निवासी और मुंबई में रहने वाले शैलेश कलथिया पत्नी शीतलबेन और दो बच्चों के साथ 18 अप्रैल को मुंबई से कश्मीर पहुंचे थे। वहां पहुंचने के बाद परिवार के सदस्यों ने श्रीनगर, सोनमर्ग, गुलमर्ग सहित कई स्थानों की यात्रा करते हुए चार दिन बिताए और 22 तारीख को पहलगाम पहुंचे। इसी दौरान आतंकवादी हमला हो गया और शैलेशभाई समेत 27 लोग मार दिए गए।

आतंकवादी हमले से पहले कलथिया परिवार के सदस्यों द्वारा ली गई तस्वीर।
कश्मीर में हिंदू-मुस्लिम जैसी कोई चीज नहीं है कश्मीर में हम जिस टैक्सी में यात्रा कर रहे थे, उसका ड्राइवर मुस्लिम था। जिस होटल में हम रुके थे वह भी मुस्लिमों का था। सभी का व्यवहार हमारे लिए बहुत अच्छा था। स्थानीय लोगों ने हमारी मदद भी की। वहीं, हिंदू-मुस्लिम जैसी कोई चीज नहीं है। मुझे तो आश्चर्य यह हुआ कि वहां एक भी पुलिस या सेना का जवान नहीं था। इसीलिए मैं कहना चाहती हूं कि वहां सुरक्षा व्यवस्था की जाए या फिर उस जगह को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाए।
अब पढ़ें, शैलेषभाई के 9 वर्षीय बेटे नक्श के शब्दों में पूरी घटना…

शैलेश कलथिया के बेटे नक्श ने हमले के समय की स्थिति बताते हुए कहा कि कश्मीर बहुत अच्छा है। हम लोग वहां घोड़े पर सवार होकर जा रहे थे। दस मिनट बाद आतंकवादी आ गए और हम सब छिप गए, लेकिन आतंकवादियों ने हमें ढूंढ लिया। हमने दो आतंकवादियों को देखा। उन्होंने कहा कि जो हिंदू हैं वे अलग हो जाएं और जो मुसलमान हैं वे अलग हो जाएं। फिर उन्होंने कलमा पढ़ने को कहा।
उन्होंने मुस्लिमों को छोड़ दिया और जो हिंदू थे उन्हें गोली मार दी। फिर वे लोग चले गए। हम सभी को भाग जाने को कहा गया। मुझे घोड़े पर बिठाया गया और मेरी बहन और मां पैदल चलीं। एक समय तो ऐसा लगा कि हमारी मौत निश्चित है। मेरी मां मेरे पिता को छोड़कर नहीं जाना चाहती थीं, लेकिन हमारी वजह से उन्हें हमारे साथ आना पड़ा। घटना के समय हम 20-30 लोग थे। सेना कुछ देर बाद आई।
भावनगर के यतीश परमार और उनके बेटे को गोली मारी, पत्नी को छोड़ा

यतीश परमार पत्नी काजलबेन और बेटा स्मित। (यतीश और स्मित की मौत हो गई है)।
काजलबेन को आतंकियों ने छोड़ा भावनगर से 20 लोगों का एक ग्रुप जम्मू-कश्मीर गया था, जिसमें भावनगर के कालियाबीड़ क्षेत्र में रहने वाले यतीशभाई परमार, उनकी पत्नी काजलबेन और बेटा स्मित यतीशभाई शामिल थे। आतंकियों ने काजलबेन को छोड़ दिया, जबकि उनके पति और बेटे को गोली मार दी। भावनगर निवासी 45 वर्षीय यतीशभाई परमार कालियाबीड़ इलाके में हेयर सैलून चलाते थे। जबकि, उनका 17 वर्षीय बेटा स्मित 11वीं कक्षा का स्टूडेंट था।

इस परिवार के साथ यात्रा करने वाले उनके कजिन सार्थक के शब्दों में… हमले के वक्त मौके पर ही मौजूद सार्थक नैथानी ने कहा कि हम वहां टहल रहे थे, तभी गोलियों की आवाज सुनाई दी। मेरे रिलेटिव यतीशभाई और उनका बेटा स्मित वहां से भाग नहीं सके। आतंकी उनके सामने ही आकर खड़े हो गए और कुछ बात कर दोनों को गोली मार दी। मैं वहां से लगभग 10 फीट दूर था। मैं दीवार के पीछे छिप गया। वहां 300-400 लोग थे, लेकिन एक भी सैनिक नहीं था। आधे घंटे बाद सेना पहुंची। जब हम लोग नीचे उतरे तो सेना से हमारी मुलाकात हुई।
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