Naxalites surrender in Chhattisgarh: नक्सलवाद के खिलाफ भारत सरकार द्वारा छेड़े गए अभियान को लगातार सफलता मिल रही है. सुरक्षाबल लगातार नक्सलियों पर कड़ा प्रहार कर उनका खात्मा कर रहे हैं. इस अभियान के तहत नक्सलवाद से जुड़े लोगों को वापस समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है. 7 मार्च (गुरुवार) को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है. यहां 11 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया और मुख्य धारा में लौट आए.
अधिकारियों ने बताया कि जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, उनमें सात महिलाएं भी शामिल हैं. इन सभी पर कुल 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था. जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है वे सभी उत्तरी बस्तर और माड़ डिवीजन में एक्टिव थे. इसमें मंगेश उपेंडी और संतू उर्फ बदरू वडादा पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. अब सवाल यह है कि अगर कोई नक्सली आत्मसमर्पण करता है तो उसे कितनी सजा मिलती है? सरकार की ऐसे ममाले में नीति क्या है? आइए जानते हैं…
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आत्मसमर्पण पर होता है पुनर्वास
सरकार की प्राथमिकता नक्सलवाद छोड़ मुख्य धारा में वापस लौटे नक्सलियों का पुनर्वास है. ऐसे में उन्हें सरकार की तरफ से कई तरह की सहायता दी जाती है, ताकि वे मुख्यधारा में शामिल होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें. इसके लिए सरकार की नक्सल आत्मसमर्पण नीति है, जिसके तहत उन्हें आर्थिक सहायता, चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाएं सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती हैं. योजना के तहत छत्तीसगढ़ में जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है उन्हें तत्काल पुनर्वास सहायता के तौर पर 25 हजार रुपये दिए गए हैं.
लगातार आत्मसमर्पण कर रहे नक्सली
बता दें, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से माओवाद को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा रहा है. इस अभियान के तहत नक्सलियों के गढ़ खत्म किए जा रहे हैं और उन्हें आत्मसमर्पण कराया जा रहा है. बीते साल बस्तर संभाग में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. यह इस बात का संकेत है कि सरकार की नीतियों और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण नक्सलवाद का धीरे-धीरे खात्मा हो रहा है.
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