देश का सबसे टॉप अस्पताल और मेडिकल रिसर्च संस्थान एम्स दिल्ली (AIIMS Delhi) इस समय स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है. हाल ही में एक सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन के जवाब में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि एम्स में एक तिहाई से अधिक फैकल्टी पद लंबे समय से खाली पड़े हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार ये जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता एम. एम. शूजा की तरफ से जनवरी 2025 में दायर RTI के माध्यम से सामने आई है. इस पर एम्स प्रशासन ने 18 मार्च 2025 को जवाब देते हुए बताया कि संस्थान में 1,235 स्वीकृत फैकल्टी पदों में से 430 पद वर्तमान में रिक्त हैं. यानी लगभग 35% पद खाली हैं, जो न केवल मरीजों के इलाज को प्रभावित कर सकते हैं. बल्कि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े करते हैं.
वर्षों से अधूरी पड़ी हैं नियुक्तियां
RTI से यह भी पता चला है कि 2019 में 172 सहायक प्रोफेसर के पदों का विज्ञापन दिया गया था, लेकिन सिर्फ 110 नियुक्तियां ही की गईं. 2021 और 2022 में भी 270 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे, लेकिन 173 सहायक प्रोफेसर और केवल 3 एसोसिएट प्रोफेसर ही नियुक्त हो पाए.
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि 2020, 2023, 2024 और 2025 की पहली तिमाही में रेगुलर फैकल्टी पदों पर कोई नई भर्ती नहीं हुई है. इससे साफ है कि बीते कई वर्षों से एम्स में स्थायी नियुक्तियों की रफ्तार बेहद धीमी रही है.
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दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर
यह संकट सिर्फ एम्स तक सीमित नहीं है. हाल ही में जारी एक अन्य RTI से पता चला है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भी मेडिकल ऑफिसर के 17%, नॉन-टीचिंग स्पेशलिस्ट के 38% और टीचिंग स्पेशलिस्ट के 22% पद खाली हैं.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह संकट देश की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है. एम्स जैसे संस्थान पर इलाज और शिक्षा दोनों की बड़ी जिम्मेदारी होती है, ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर पदों का खाली रहना चिंताजनक है.
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