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Sambar Recipe History: दक्षिण भारतीय राज्यों में सांभर के बिना खाना अधूरा है. डोसे के साथ सांभर, इडली के साथ सांभर, यहां तक वड़े के साथ भी सांभर खाया जाता है. इसका स्वाद लोगों को ऐसा भाया कि यह डिश साउथ से निकलकर नॉर्थ इंडिया में भी छा गई. आज उत्तर भारत के कई घरों में चाव से सांभर खाया जाता है. कई तरह की सब्जियों को मिलाकर बनने वाली यह डिश अपने स्वाद के साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहतरीन होती है.
सांभर कई लोगों को पसंद होता है, लेकिन क्या आप इसके पीछे की कहानी जानते हैं? यह कहां से आया? सबसे पहले किसने बनाया और इसका नाम सांभर ही क्यों रखा गया? दरअसल, इसकी कहानी हाल ही में आई फिल्म ‘छावा’ के संभाजी महाराज से जुड़ी है. चलिए जानते हैं इसका इतिहास.
किसने बनाया था पहली बार सांभर?
सांभर के बारे में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस रेसिपी को सबसे पहले महाराष्ट्र में बनाया गया था. ऐसा माना जाता है कि सांभर को सबसे पहले शाहजी प्रथम की शाही रसोई में बनाया गया था. कहा जाता है कि जब शिवाजी के बड़े बेटे और मराठा साम्राज्य के उत्तराधिकारी संभाजी तंजावुर आए तो उन्हें एक अनोखी डिश परोसी गई. संभाजी को यह डिश बहुत पसंद आई और इसी तरह संभाजी के नाम के साथ जोड़कर इस डिश को सांभर कहा गया, जिसका मतलब था ‘सांभा चा आहार’, यानी संभाजी का आहार.
दाल बनाते-बनाते बन गया सांभर
सांभर के पीछे एक और कहानी है और यह भी शाहजी प्रथम और संभाजी से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि शाहजी खाना बनाना अच्छी तरह जानते थे. एक दिन वह पारंपरिक आमटी दाल बना रहे थे, जो कोकम से बनती थी. उनकी रसोई में उस समय कोकम मौजूद नहीं था, इसलिए उन्होंने उसमें इमली और कुछ सब्जियां डाल दीं. बाद में यह डिश संभाजी को परोसी गई, जो उन्हें बहुत पसंद आई. इसके बाद से ही इसे संभाजी के नाम पर सांभर कहा जाने लगा.
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