नींद लेने की अवधि को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है जो कहती है कि नींद की अवधि में हल्की सी बढ़ोत्तरी दिमागी सेहत पर कमाल का असर डाल सकती है। यह युवाओं में ज्ञान की क्षमता को बढ़ा सकती है। रिसर्च में 3222 किशोरों को शामिल किया गया जिनकी उम्र 9 साल से 14 साल के बीच थी। इसमें पाया गया कि जो किशोर थोड़ी ज्यादा नींद ले रहे थे उनकी दिमागी क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई। नींद की औसत अवधि यहां पर 7 घंटे 10 मिनट रखी गई थी, लेकिन जो किशोर इससे केवल 15 मिनट ज्यादा, यानी 7 घंटे 25 मिनट की औसत नींद ले रहे थे उनमें पढ़ाई, समस्या के समाधान और ध्यान केंद्रित करना आदि चीजों में बेहतर रिजल्ट मिले। यानी रीडिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग और फोकस इन किशोरों में ज्यादा पाया गया।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की क्लिनिकल न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट बारबरा साहकियान के अनुसार, ‘हालांकि प्रत्येक ग्रुप को मिलने वाली नींद की मात्रा में अंतर अपेक्षाकृत कम था, जो कि सबसे अच्छे और सबसे खराब सोने वालों के बीच मात्र एक चौथाई घंटे (15 मिनट) का अंतर था, फिर भी हम दिमाग की संरचना और गतिविधि में, तथा कार्यों में उनकी अच्छी तरह से प्रस्तुति में अंतर देख सकते थे।’
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के हार्ट रेट का भी आकलन किया, जिसमें पाया गया कि ग्रुप-3 में नींद की अवस्थाओं में सबसे कम हार्ट रेट था और ग्रुप-1 में सबसे अधिक। कम हार्ट रेट आमतौर पर बेहतर स्वास्थ्य का संकेत है, जबकि ज्यादा हार्ट रेट अक्सर खराब नींद की गुणवत्ता के साथ होता है जैसे बेचैन नींद, बार-बार जागना और दिन में अत्यधिक नींद आना।
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