Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का बुल्डोजर एक्शन जोरों पर है. प्रदेश में दोषियों और किसी ने किसी वजह से सरकार का बुल्डोजर घरों या फिर अवैध निर्माण पर चल रहा है. लेकिन बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने साल 2021 में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन महिला याचिकाकर्ताओं के घर के ध्वस्त किए जाने पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि घर ध्वस्त करने की यह मनमानी प्रक्रिया नागरिकों के अधिकारों का हनन है.
बुल्डोजर पर सुप्रीम कोर्ट भारी
कोर्ट ने कहा कि राइट टू शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है, यह हमारी अंतरआत्मा को झकझोरता है. अदालत का कहना था कि इस दौरान समुचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि वह पीड़ितों को 10-10 लाख का हर्जाना दे. ऐसे में देखा जाए तो योगी सरकार का बुल्डोजर एक्शन उन पर भारी पड़ा है. इस दौरान जानते हैं कि आखिर सरकार के मुकाबले सुप्रीम कोर्ट कितनी पावरफुल है और इसकी शक्तियां क्या हैं.
सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां
- यहां पर एक बात तो साफ है कि भारत में सुप्रीम कोर्ट ही सुप्रीम है. यह सरकार से ज्यादा ताकतवर है. सरकार का काम कानून को बनाना और उसे लागू करना है, जबकि सुप्रीम कोर्ट संविधान का रक्षक है और कानून की संवैधानिककता की समीक्षा करना उसका अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां निम्न हैं-
- सुप्रीम कोर्ट संविधान की व्याख्या के साथ-साथ उसकी रक्षा भी करता है.
- राज्य विधानसभा और संसद के द्वारा बनाए गए कानूनों की समीक्षा करने का पहला काम सुप्रीम कोर्ट का है. अगर वो संविधान के खिलाफ हुए तो सुप्रीम कोर्ट उनको रद्द भी कर सकता है.
- अगर सरकार लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन या हनन करती है तो सुप्रीम कोर्ट उसमें हस्तक्षेप करता है और मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है.
- सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय है. यहां सभी अपीलों का अंतिम फैसला सुनाया जाता है.
- सुप्रीम कोर्ट के पास यह शक्ति भी है कि वह केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवादों का निपटारा कराता है.
- सुप्रीम कोर्ट सलाहकार की भूमिका भी निभाता है. वह राष्ट्रपति को किसी कानूनी मामले पर सलाह दे सकता है, लेकिन वह बाध्यकारी नहीं हैं.
- सुप्रीम कोर्ट को यह भी अधिकार है कि अगर कोई अदालत की अवमानना करे तो उसे दंड दिया जाए.
- सर्वोच्च न्यायालय या फिर उच्च न्यायालय के रिटायर्ड न्यायधीशों की नियुक्ति का अधिकार भी सुप्रीम कोर्ट के पास होता है.