ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला मंत्री ने YouTube को खास छूट दिलाने की कोशिश की. दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में एक नया कानून लागू किया गया है, जिसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों को TikTok, Facebook और Instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन कर दिया गया था. लेकिन यूट्यूब को इस बैन से छूट मिल गई और यह सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हुआ?
यह काम किया था ऑस्ट्रेलिया की संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने खुद YouTube के CEO नील मोहन को एक गारंटी दी थी, जिसमें यह कहा गया कि यूट्यूब पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा. इसके बाद, यूट्यूब को छूट मिल गई और वह ऑस्ट्रेलिया में अपनी सेवाएं जारी रख सका.
कई कंपनियां नाराज
अब इस फैसले ने कई सोशल मीडिया कंपनियों को नाराज कर दिया है. Facebook और Instagram के मालिक मेटा के साथ-साथ, Snapchat और TikTok ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई है. TikTok ने तो इसे ‘नाइंसाफी’ तक कहा और यह तर्क दिया कि YouTube और TikTok के बीच कोई बड़ा फर्क नहीं है. दोनों ही प्लेटफॉर्म्स शॉर्ट वीडियो शेयरिंग के लिए हैं, फिर यूट्यूब को छूट क्यों मिली, यह समझ से बाहर है.
टिकटॉक की पैरंट कंपनी बाइटडांस ने इस मामले को एकतरफा डील करार दिया है. उन्होंने इसे ऐसा ही बताया जैसे किसी को सॉफ्ट ड्रिंक पर बैन लगा कर Coca-Cola को इससे छूट देना. इस फैसले ने सोशल मीडिया के बड़े दिग्गजों के बीच काफी बहस छेड़ दी है.
यूट्यूब को मिली थी छूट
मिशेल रोलैंड ने यूट्यूब को दी गई गारंटी के बाद, 9 दिसंबर 2024 को नील मोहन से लिखा था कि उन्होंने यूट्यूब के लिए कानूनी छूट की पुष्टि की है. इसके बाद, उन्होंने यूट्यूब के अधिकारियों से मुलाकात की योजना बनाई थी, हालांकि यह नहीं बताया गया कि मीटिंग कहां हुई. यह मामला इसलिये खास है क्योंकि यूट्यूब अब ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है.
बच्चों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ज्यादा वक्त बिताने के कारण, यूट्यूब को मेटा जैसे प्लेटफॉर्म्स के मुकाबले एक बड़ा फाइदा हुआ है. तो, सवाल यह उठता है कि क्या एक ही सेक्टर के प्लेटफॉर्म्स में से एक को फायदा पहुंचाना और बाकी को नुकसान देना वास्तव में सही है? यह एक ऐसा मामला है जिस पर आने वाले समय में और भी बहस हो सकती है.