Waqf Amendment Bill: बीते दिन आधी रात को लोकसभा में पास होने के बाद वक्फ संशोधन बिल को आज किरेन रिजिजू ने राज्यसभा के पटल पर पेश किया गया है. कल लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े हैं, जबकि 232 सांसदों ने विपक्ष में वोट किया है. यह विधेयक वक्फ की संपत्ति के प्रबंधन को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से लाया गया था. इसको लेकर सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच मतभेद देखने को मिल रहा है. ऐसे में राज्यसभा पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. वक्फ संशोधन बिल के बीच गरीब मुसलमानों का भी जिक्र किया जा रहा है. ऐसे में यहां पर यह भी जान लेते हैं आखिर भारत के कुल गरीबों में गरीब मुसलमानों की संख्या कितनी है.
भारत में कितना गरीब मुसलमान
भारत में हिंदू, मुसलमान, जैन, सिख और ईसाई कई धर्मों के लोग रहते हैं. ऑल इंडिया डेब्ट्स एंड इन्वेस्टमेंट (AIDIS) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की एक रिपोर्ट की मानें तो देश में सबसे ज्यादा गरीबी मुसलमानों की है. वहीं साल 2010 में नेशनल काउंसिल फॉर इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट में था कि भारत में 31% मुसलमान गरीबी रेखा से नीचे रह रहा है. वहीं साल 2024 में वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2024 में भी कहा गया है कि भारत में सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं और रिपोर्ट की मानें तो पूरी दुनिया में 110 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं. इसमें से 23.4 करोड़ भारतीयों की संख्या है.
धीरे चल रहा गरीबी कम होने का आंकड़ा
इसका साफ मतलब है कि बहुआयामी से जूझ रही 21 फीसदी गरीब आबादी भारत में रहती है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2005-06 से 2015-16 के बीच बहुआयामी गरीबी 2.7% प्रतिवर्ष की दर से गिरी है. लेकिन फिर 2015-16 से 2019-21 के बीच आंकड़ा काफी धीमे रहा. इस दौरान गरीबी कम होने का आंकड़े सिर्फ 2.3 प्रतिशत अंक ही छू पाया.
कितनी है मुसलमानों की संपत्ति
ऑल इंडिया डेब्ट्स एंड इन्वेस्टमेंट (AIDIS) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की रिपोर्ट की मानें तो हाई क्लास के मुस्लिम भी हिंदू ओबीसी से ज्यादा गरीब हैं. साल 2018 में मुस्लिमों की औसत संपत्ति की वैल्यू 15,57,638 थी, जबकि मुसलमानों में नौकरी की हिस्सेदारी भी कम है. इसकी वजह कम पढ़ाई लिखाई और कम रोजगार है.
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