Kind Of Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान ने दुनिया में ट्रेड वॉर की स्थिति पैदा कर दी है. ट्रंप ने अमेरिकी संसद के ज्वाइंट सेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हमसे 100 फीसदी से ज्यादा टैरिफ वसूलता है. हम भी अगले महीने से ऐसा करने जा रहे हैं. इतना ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद देशों से आयात पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं. जिससे दूसरे देश भी जवाब में टैरिफ बढ़ाने की बात कर रहे हैं. टैरिफ टैरिफ टैरिफ आखिर ये टैरिफ होता क्या है और दुनिया में कौन से देश कितनी तरीके का टैरिफ लगाते हैं. चलिए आपको बताते हैं.
क्या होता है टैरिफ
टैरिफ दूसरे देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर है. मतलब कि जो कंपनियां विदेश का सामान देश में लेकर आती हैं वो सरकार को टैक्स देती हैं. ये सरकार के हाथ में होता है कि वो उस टैक्स को बढ़ा भी सकती है और घटा भी सकती है. कुल मिलाकर सरकार इस बात पर नियंत्रण लगाने की कोशिश करती है कि उसे देश में कौन सा विदेशी सामान कितनी मात्रा में चाहिए.
दुनिया में कौन से देश टैरिफ लगाते हैं
वर्ल्ड बैंक 2022 के डेटा की मानें तो बरमूडा, सोलोमन द्वीप, केमन द्वीपसमूह, कांगो, रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गिनी, कैमरून, बेलीज, जिबूटी, चाड, गैबॉन ये देश हाईएस्ट टैरिफ लगाते हैं. सबसे कम टैरिफ लगाने वाले देशों में हांगकांग (चीन), मकाऊ (चीन), सूडान, ब्रुनेइ दारुस्सलाम, सिंगापुर, जॉर्जिया, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, मॉरीशस, सेशल्स जैसे देश शामिल हैं. हाई और लो टैरिफ रेट के अलावा दुनिया के कुल 188 देश टैरिफ लगाते हैं.
कितनी तरीके का होता है टैरिफ और इनमें क्या अंतर है
वैसे तो टैरिफ कई तरह के होते हैं, लेकिन इनमें मुख्य रूप से स्पेसिफिक टैरिफ, एड वेलोरम टैरिफ, कंपाउंड टैरिफ, टैरिफ कोटा और ब्लॉक टैरिफ शामिल हैं. अब आपको बताते हैं कि ये क्या होते हैं.
स्पेसिफिक टैरिफ
ये हर यूनिट पर लगाई गई फिक्स फीस की तरह होता है, जैसे कि प्रति किलोग्राम या हर आइटम पर. इसके अलावा इसकी वैल्यू सामान के हिसाब से बदलती नहीं है.
एड वेलोरम टैरिफ
इसे किसी भी उत्पाद की कीमत के पर्सेंटेज के रूप में लगाया जाता है. ये इंपोर्ट किए गए सामान की अलग-अलग कीमतो पर व्यापक रूप से लागू होता है.
कंपाउंड टैरिफ
ये स्पेसिफिक और एड वेलोरम टैरिफ का मिलाजुला रूप है. प्रति यूनिट कॉस्ट और सामान के एक सेट पर्सेंटेज पर एकसाथ लागू किया जाता है.
टैरिफ कोटा
ये टैरिफ दो अलग-अलग तरीकों से लगता है. पहला तो जो सामान थोड़ी मात्रा में कम रेट पर इंपोर्ट किया जाता है, उस पर टैरिफ रेट कम होता है. वहीं अगर उस राशि से ऊपर इंपोर्ट्स पर टैरिफ रेट बढ़ जाता है.
ब्लॉक टैरिफ
एनर्जी के इस्तेमाल को ब्लॉक में डिवाइड किया जाता है. जिनमें पहले ब्लॉक का टैरिफ सबसे ज्यादा होता है, इसके बाद से ग्राफ के अनुसार धीरे-धीरे कम होता जाता है. जिस ब्लॉक में कंज्यूमर एनर्जी को इस्तेमाल करता है वो उसके हिसाब से टैक्स देता है.