Bharat Ratna: भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. ये सम्मान असाधारण और सर्वोच्च सेवा को मान्यता देने के लिए दिया जाता है. ये सम्मान किसी भी क्षेत्र में असाधारण काम करने के लिए दिया जाता है, वो राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान, लेखक, उद्योगपति और समाजसेवी किसी को भी दिया जा सकता है. इसकी शुरुआत 2 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने की थी.
सबसे पहले किसे दिया गया भारत रत्न
ये सम्मान सबसे पहले भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और साइंटिस्ट डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरमन को दिया गया था. उस वक्त से ये अन्य लोगों को दिया जा रहा है. लेकिन ये सिर्फ देश के लोगों को मिलता है, बाकी के देशों की तरह विदेशी नेताओं को इसे नहीं दिया जाता है. आखिर इसके पीछे क्या नियम है.
विदेशी को क्यों देते हैं देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
साल 2024 में रूस ने पीएम मोदी को उनके देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है. लेकिन सोचने की बात है कि क्या भारत भी अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान किसी विदेशी को दे सकता है. दरअसल कोई देश अपने देश के नागरिकों के अलावा विदेशी हस्ती को इस सम्मान से तब सम्मानित करता है, जब दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते होते हैं, और जिस शख्स के अवॉर्ड से नवाजा जा रहा हो, उसने रिश्ते बनाने में अहम योगदान दिया हो.
भारत ने किन विदेशियों को दिया भारत रत्न
भारत रत्न अवॉर्ड के नाम से ही समझ आ रहा है कि ये सिर्फ भारतीयों को ही मिलेगा. लेकिन ये सम्मान तीन विदेशियों को भी मिल चुका है, लेकिन इसके पीछे भी कुछ नियम रहा है. मदर टेरेसा, नेल्सन मंडेला और अब्दुल गफ्फार खान को ये सम्मान प्राप्त हो चुका है. लेकिन मदर टेरेसा नेचुरलाइज्ड भारतीय हो चुकी थीं. वहीं अब्दुल गफ्फार खान को बतौर स्वतंत्रता सेनानी पुरस्कृत किया गया था, लेकिन तब वो पाकिस्तान में बस चुके थे. इसके अलावा नेल्सन मंडेला को अश्वेतों के समान अधिकारों की ग्लोबल लड़ाई के सम्मानित किया गया था. लेकिन बीते कई दशकों से ये सिर्फ भारतीयों को मिलता आ रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो भारत रत्न के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है कि यह पुरस्कार केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जा सकता है.