नई दिल्ली34 मिनट पहले
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टैरिफ के कारण अमेरिका-चीन के बढ़ते ट्रेड वॉर के बीच कई चीनी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स भारतीय कंपनियों को 5% तक की छूट ऑफर कर रहे हैं।
ऐसे में इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स मांग को प्रोत्साहित करने के लिए इस डिस्काउंट का कुछ हिस्सा कंज्यूमर को पास कर सकते हैं।
इस कदम से भारत में टीवी, फ्रिज, स्मार्टफोन जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक्स सामान सस्ते हो सकते हैं। ईटी ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है।
चीनी मैन्युफैक्चरर्स को डिमांड कम होने की चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेड वॉर से अमेरिका में चीन से आने वाला सामान महंगा हो जाएगा, इससे डिमांड में कमी आ सकती है।
डिमांड की कमी की चिंता चीनी कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स पर दबाव बढ़ा रही है। ऐसे में डिमांड को बढ़ाने के लिए ये मैन्युफैक्चरर्स भारतीय कंपनियों को डिस्काउंट दे रहे हैं।
टैरिफ टाइमलाइन: अमेरिका Vs चीन
- 2 अप्रैल, 2025: अमेरिका ने चीन पर कुल 54% (20%+34%) टैरिफ लगाया। चीन अमेरिका पर 67% टैरिफ लगाता था।
- 4 अप्रैल, 2025: चीन ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिका पर 34% टैरिफ लगा दिया। कुल टैरिफ (67%+34%) 101% हो गया।
- 8 अप्रैल, 2025: डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- चीन ने 34% टैरिफ वापस नहीं लिया तो वो 50% एडिशनल टैरिफ लगाएंगे।
- 9 अप्रैल, 2025: चीन ने टैरिफ वापस लेने से इनकार कर दिया और उसपर कुल टैरिफ बढ़कर 104% (54%+50%) हो गया।
- 9 अप्रैल, 2025: अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन ने भी 50% टैरिफ लगा दिया। कुल टैरिफ 151% (101%+50%) हो गया।
- 9 अप्रैस, 2025: अमेरिका ने चीनी आयात पर एडिशनल 21% टैरिफ लगा दिया। चीन पर कुल टैरिफ बढ़कर 125% हो गया।
टैरिफ बढ़ने से चीनी सामान अमेरिका में महंगा हो जाएगा
चीन पर 125% टैरिफ लगाने का आसान भाषा में मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 225 डॉलर का हो जाएगा। अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी डिमांड घटेगी और बिक्री कम हो जाएगी।
प्रेस सचिव बोलीं- अमेरिका पर प्रहार होगा तो ट्रम्प जवाब देंगे
वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने चीन पर लगाए गए टैरिफ के बाद कहा: “जब आप अमेरिका पर प्रहार करेंगे, तो राष्ट्रपति ट्रम्प और अधिक प्रहार करेंगे।”
ट्रेड वॉर खत्म करने का रास्ता तलाशना चाहते हैं अमेरिका-चीन
अमेरिका और चीन बातचीत की मेज पर इस ट्रेड वॉर को खत्म करने का रास्ता तलाशना चाहते हैं। हालांकि, एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की वाइस प्रेसिडेंट और अमेरिकी की पूर्व ट्रेड ऑफिशियल वेंडी कटलर ने कहा, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में गतिरोध के कारण यह आसान रास्ता नहीं होगा। चीन सौदेबाजी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
ट्रम्प ने 2 अप्रैल पर दुनियाभर में टैरिफ लगाने की घोषणा की थी
ट्रम्प कहते आए हैं कि अगर कोई देश अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश से आने वाली चीजों पर ज्यादा टैरिफ बढ़ाएगा। उन्होंने इसे रेसिप्रोकल टैरिफ कहा। 2 अप्रैल को करीब 100 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा करते हुए कहा था, ‘आज लिबरेशन डे है, जिसका अमेरिका लंबे समय से इंतजार कर रहा था।’